Friday, September 16, 2011

उधार की औकात पर लोकतंत्र सेलड़ाई, कुल मिलाकर दो बार - निरंजन परिहार

इन दोनों की ‘कबीर’ नाम की एक संस्था है। बहुत सारे लोग तो शायद पहली बार ‘कबीर’ का नाम भी सुन रहेहोंगे। वैसे, कुछ दिन पहले तक ‘कबीर’ को खैर, कोई जानता भी नहीं था। केजरीवाल और सिसोदिया की यह ‘कबीर’ हमारे देश के भूखे नंगों के कल्याण का स्वांग करती है और उसके ये दोनों कर्ताधर्ता अमरीका से सहायता ले आते हैं।
अमरीका दुनिया का सेठ है। और इतना तो आप भी समझते ही है कि हरकोई गरीब पर दया देख कर उसकी सहायता करता है, अमीर की नहीं। इसी से समझ जाइए कि सिसोदिया और केजरीवाल हमारे महान भारत का कौनसा चेहरा अमरीका के सामने पेश करते होंगे। फोर्ड फाउंडेशन के भारतीय प्रतिनिधि स्टीवेन सोलनिक ने भी कहा है कि सिसोदिया और केजरीवाल के एनजीओ ‘कबीर’ को उनकी पहली सहयोग राशि 2005 में 1,72,000 डॉलर की थी। जबकि दूसरी बार 2008 में 1,97,000डॉलर दिए गए। जिसकी आखिरी किस्त 2010 में जारी की गई थी। अपने कबीर तो एक महान फकीर थे। पर उस पहुंचे हुए फकीर ने नाम पर अपनी गरीबी मिटाने का कमाल सिसोदिया और केजरीवाल ही कर सकते थे, और किया भी खूब।
यह वही अमरीका जो हमारे देश की संस्थाओं को सहायता देता है, और पाकिस्तान को भी पैसे ठेलकर हमारे खिलाफ जंग के लिए रह रहकर भड़काता रहा है। इसी अमरीका की आर्थिक सहायता पाकर पाकिस्तान हमारे बहादुर और देशभक्त सैनिकोंको अकसर गोलियों का निशाना भी बनाता रहा है। कोई आपके खिलाफ हमले करने के लिए आपके दुश्मन को गोला बारूद मुहैया कराए और दूसरी तरफ आपको भी रोटी के दो टुकड़े ड़ालकर जिंदा रखने की नौटंकी करती रहे, ऐसे किसी भी दोगले शख्स से आप कोई सहायता लेंगे, इसके लिए किसी भी सामान्य आदमी का भी दिल कभी गवाही नहीं देगा, यह आप भी जानते हैं। लेकिन केजरीवाल और सिसोदिया यह सब जानने के बावजूद अमरीका के सामने रोनी सूरत बनाकर अपने कटोरे में भीख भर ले आते हैं, यह गर्व करने लायक बात है या शर्म सेडूब मरने लायक, यहआप तय कीजिए।
और जरा इस सत्य कोभी जान लीजिए। गांधी और जेपी की बराबरी में पिछले दिनों अचानक प्रयासपूर्वक औरयोजनाबद्ध तरीकेसे खड़े कर दिए गएअन्ना हजारे की तेरह दिन की भूख के सहारे देश के आकाश में अचानक चमत्कार की तरह प्रकट हुए इन दो सितारों की चमक अमरीका से आई दया की भीख का कमाल है, यह किसी को पता नहीं था।

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