Saturday, September 3, 2011

हो रहा भारत निर्माण..(कहाँ भइया,कहाँ हुआ है भारत निर्माण .

दिल में उठा था एक अरमान
सबसे हसीं हो हिंदुस्तान .
तरक्की की जो राह चुनी ,
उसे नाम दिया भारतनिर्माण.
हो रहा भारत निर्माण
हो चूका भारत निर्माण ..
किधर भैया ,कहाँ हुआ है भारत निर्माण ?
मनन किजिये और जवाब दीजिये.
१- गरीबी रेखा के निचे जीने वालों की संख्या ५ करोड़ और बढ़ गई पिछले कुछ वर्षों मेंऔर वो भी सरकारी आंकड़ों के हिसाब से .सरकारी आंकड़ोंका खेल तो परम गूढ़ है..(हो रहा भारत निर्माण)
२-देश में विदेशी कंपनियों का आगमन पहले की तुलना मे १६३ % बढ़ा है.(हो रहा भारत निर्माण)
३-घोटालों की संख्या जल्द ही चाइना की जनसँख्या को भी पार कर देगी..(हो रहा भारत निर्माण)
४- भारत की सभी सीमायीं बेहद असुरक्षित हैं .एकरक्षा समझौते के हिसाब से ४ साल पहले भारत fighter planes खरीदने वाला था जिनकी मारक क्षमता सबसे अधिक होगी मगर वो रक्षासमझौता आज तक अधर में लटका है..(रक्षा विशेषज्ञ पार्थसारथी के interview में ये रहस्योद्घाटन हुआ) (हो रहा भारत निर्माण)
५-भ्रष्टाचार मेंभारत का स्थान ८४ वे पायदान से फिसलकर ८७ वे स्थान पर है और asia का 4th सबसे corrupt देश है भारत/ ( हो रहा भारतनिर्माण)
६-सरकारी विद्यालयों का हाल देख कर रोना आ जाता है. साक्षर दर में वृद्धि हुईहै और वो बढ़कर ७४% हुई है.(हो रहा भारत निर्माण)
7-अपराध दर में अभूतपूर्व वृद्धि दर भारत निर्माण को आधार प्रदान करता है.पूरे ५७ लाख crime हुए हैं कोर्ट की नजर मेंपिछले ८ साल में .असल में कितने हुए हैं पतानही.उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश और delhi सरीखे राज्यों में बलात्कार की बाढ़ आ गई है.rape cases की संख्या में २००६ के बाद से २६१ % की वृद्धि हुई है.( होरहा भारत निर्माण)
८-भारत के कुछ क्षेत्रों में हिन्दुओं को जीवित रहने के लिएजजिया देना पड़ रहा है.(हो रहा भारत निर्माण)
९- भारत में अमीरों की संख्या १५०००० है जो १२५ करोड़ का कितना प्रतिशत है ये आप आंकलन कीजिये ,और इन १५०००० लोग के पास पूरी भारत की संपत्ति का ८७% भाग है..(हो रहा भारत निर्माण)
१०- प्रति व्यक्ति आय ४६४९२ रुपये प्रति वर्ष हैं.यानि मासिक ४००० रुपये से भी कम.६५% आबादी ऐसी है जिसकी प्रतिनदिन की आय १$ से कम है..(हो रहा भारत निर्माण)
अभी ऐसे जाने कितने आंकड़े हैं जो अचंभित कर देगेऔर सोचने पर मजबूरकर देगे ..सोचिये और कुछ करिए.आवाज उठाइए .आत्म संतुष्टीकरण कहीं का नही छोड़ेगा मुझे भी और आप सबको भी..

Wednesday, August 31, 2011

जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,

जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते, फिर वही रुसवायी है.
घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल कीखबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायीहै.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.
मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Profession al ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है

दिनेश यादव की लाश: यूं ही गंवाईजान? दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा

दिनेश यादव की लाश: यूं ही गंवाईजान?
दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा तो हजारों की भीड़ ने उसका स्वागत किया और उसकी मौत को ‘बेकार नहीं जाने देने’ का प्रण किया। लेकिन टीम अन्ना की बेरुखी कइयों के मन में सवालिया निशान छोड़ गई। सवाल था कि क्या उसकी जान यूं ही चली गई या उसके ‘बलिदान’ को किसी ने कोई महत्व भी दिया?
गौरतलब है कि सशक्त लोकपाल पर अन्ना हजारे के समर्थन में पिछले सप्ताह आत्मदाह करने वाले दिनेश यादव की सोमवार को मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक यादव ने सुबह लोक नायक अस्पताल में दम तोड़ दिया। यादव के परिवारजनों को उसका शव सौंप दिया गया था जो बिहार से दिल्ली पहुंचे थे।
पुलिस के मुताबिक यादव के परिवार वाले उसके अंतिम क्रिया के लिए पटना रवाना हो चुके हैं । उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 32 वर्षीय यादव की मौत पिछले सप्ताह ही हो चुकी थी। हालांकि पुलिस ने इन रिपोर्ट से इनकार किया है। गौरतलब है कि 23 अगस्त को दिनेश ने राजघाट के पास अन्ना के समर्थन में नारे लगाते हुए खुद पर पेट्रोल छिड़क आग लगा ली थी। 70-80प्रतिशत जल चुके दिनेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि कुछ डॉक्टरों और प्रत्यक्षदर्शी अस्पताल कर्मियों से दिनेश ने आखिरी दिन तक पूछा था किक्या उससे मिलने अन्ना की टीम से कोई आया था?
दिनेश यादव का शव जब पटना के निकट दुल्हन बाजार स्थित उनके गांव सर्फुदीनपुर पहुंचा तो पूरा गांव उमड़ पड़ा था। सब ने शपथ ली है.. इस मौत को जाया नहीं जाने देंगे। एक पत्रकार ने फेसबुक पर लिखा है, ”मुझे लगता है टीम अन्ना को इस नौजवान के परिवार की पूरी मदद करनी चाहिए। उनके घर जाकर उनके परिवारवालों से दुख-दर्द को बांटना चाहिए।”
दिनेश के परिवार के लोग बेहद गरीब और बीपीएल कार्ड धारक हैं। कई पत्रकारों का भी कहना है कि सहयोग के लिए अगर कोई फोरम बनेगा तो वे भी शामिल होने को तैयार हैं। दिनेश के तीन बच्चे हैं। उसकी पत्नी का रो रो करबुरा हाल है और वहकई बार बेहोश हो चुकी है। उसके बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है।
उधर अन्ना हज़ारे अनशन टूटने के तीसरे दिन भी गुड़गांव के फाइव स्टार अस्पताल मेदांतासिटी में स्वास्थ लाभ लेते रहे।

LAYS CHIPS मे होती है सुअर की चर्बी

LAYS CHIPS मे होती है सुअर की चर्बी
यकीन न आये तो LAYS CHIPS का कोई पुराना पैकेट तलाशिये
उसपे लिखा होगा E631
अब गूगल पर सर्च कीजिये पूरी जानकारी आपके सामने होगी
LAYS CHIPS भारत मे ज्यादातर घरो मे नियमित रुप से प्रयोग होती है लेकिन अधिकतर देशो मे यह प्रतिबंधित है
E631 सुअर और मछली की चरबी से प्राप्त होता है इसे CHEMISTRY मे diasodium inosinate कहते है
अधिकतर ठंडे देशोमे सुअर का माँस बहुत पसंद किया जाता है
सुअर ही ऐसा प्राणी है जिसमे बहुत अधिक चर्बी होती है
अब फालतू चर्बी को इन कँपनियो ने साबुन और अन्य खाद्य पदार्थो आदि मे मिलाकर बेचना शुरु किया तो काफी बवाल हुआ इसलिये ये कोडिग शुरु की गई ताकि आसानी से भारतीय लोगो को मूर्ख बनाया जा सके
कुछ नये पैकेटो पर अब ये कोड भी बँद कर दिया
इस E631 पदार्थ का उपयोग विदेशी कँपनियो के कई उत्पादो जैसे टूथपेस्ट च्युँगम चॉकलेट कॉर्न फ्लैक्स टॉफी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो मेकिया जाता है
"कुरकुरे मे प्लास्टिक होता है अगर विश्वास न हो तो इसे जला कर देखिये"
कुछ कोड
E100
E110
E120
E140
E141
E153
E210
E213
E214
E216
1857 की क्राँति क्या यही देखने को हुई थी
http://facebook.com/dixitzee

Sunday, August 28, 2011

बाबारामदेव का आन्दोलन दबाया कांग्रेस ने... और किसी ने सोचा भी नहीं ये जब दोनों पहले एक मंच पर थे वह अलग अलग क्यों हुए ?

बाबारामदेव का आन्दोलन दबाया कांग्रेस ने...
और किसी ने सोचा भी नहीं ये जब दोनों पहले एक मंच पर थे वह अलग अलग क्यों हुए ?
क्यूंकि बाबा स्वदेशी के समर्थक थे...
बाबा के आन्दोलन से सरकार तो हिल ही रही थी...
कई विदेशी कम्पनियों की लुटिया भी डूब सकती थी...
यदि बाबा का आन्दोलन सफल हो जाता तो सरकार को स्वदेशी सहित तमाम वे शर्ते मानना पड़ती जिससे कांग्रेस के दलालों की कमाई होती है...
बाबा के आन्दोलन को दबाना कांग्रेस की जरुरत थी...
जिसके लिए उसके दलालों ने बड़ी बड़ी कंपनियों सेदलाली ली थी...
बाबा के आन्दोलन को दबाने के लिए अन्ना से कहा गया की आपकी शर्ते मानी जाएगी.... इसीलिए अन्ना ने बाबा का समर्थन नहीं किया...
और बाबा के साथ कुछ भी होता रहा अन्ना आगे नहीं आये...
अन्ना ने देखा की सरकार पर अन्ना का दबाव नहीं बन पा रहा है तो उसने अनशन की घोषणा कर दी...
सरकार चाहती थी की अन्ना अनशन करे....
और अन्ना बन गए सरकार के हथियार....
और इसकी वजह भी है मेरे पास...
सरकार महंगाई के मुद्दे को अन्ना की आड़ में खामोश करना चाहती है....
यह सब कांग्रेस की सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है...
जन बुझाकर देश का ध्यान मूल मुद्दों से हटाकरअन्ना के पक्ष में किया जा रहा है...
सरकार जो चाहती है उसमे वह सफल हो रही है...
और आम जनता मुर्ख बन रही है....
कांग्रेस की खुराफाती टीम के अहमद पटेल, कपिल सिब्बल, दिग्विजयसिंह, पी चिदंबरम की यह चाल कामयाब हो रही है...
और हम कुछ समझ ही नहीं पा रहे है...
देश भीषण भूल कर रहा है...
जिसके परिणाम भुगतने होंगे...
जय हिंद... जय भारत... वन्दे मातरम
कांग्रेस ने देश की जनता का ध्यान पूरी तरह से मूल मुद्दों से हटा दिया है.
वह बिना सच्चाई को जाने भेड़-चाल की तरह अन्ना के पीछे लगी है?जिसके असली गेम प्लानर अग्निवेश और भूषण जैसे देशद्रोही हैं.

Jara gaur karein...

अनशन आन्दोलन के इन पहेलु पर गौर करे.
१. बाबा रामदेव जो अपने आप में एक ऐसे देशभक्त जो ग्नाधिमुल् यो को आगे करते हुए २ साल से भारत की वर्त्तमान स्थिति को लेकर जनचेतना जागरण अभियान चला रहे थे. जिन्होंने अपने आन्दोलन मेंकिसी भी धर्म के व्यक्ति को मंच पर आने से नहीं रोका. वो भी तो देशहित में कार्य कर रहे थे .उस आन्दोलन को अन्नाजी ने कोई भारी समर्थन भी नहीं दिया उस राष्ट्रभक् त बाबा रामदेव को इस अनशन आन्दोलन के मंच न कोई स्थान दिया गया या प्रवचन करने का मौका. बल्कि देश के युवा धन को दारू की बोतल जेब में रखने की बात करने वाले नचनियाओमपुरी और बिभस्तगाली जिसमे है ऐसी फिल्म डेली बेली बनानेवाले आमिरखान को मंच पर बिठाया और भाषण देने का मौका भी दिया. क्या यही चरित्र निर्माण है भारत का. ऐसा क्यों?
२. जहा बाबा रामदेव भारत देश को पूर्णतः कैसे स्वावलंबी बनाया जाय उस विषय में और देश के बेरोजगार युवा धनअवम गरीबो को रोजी मिले ऐसे कार्य कर रहे है, और आयुर्वेद के माध्यम से देश की जनता के स्वास्थ्य को लेकर जाग्रति फेला रहे है, वहा अन्नाजी की टीम में विदेशी कम्पनियो के दलालऐसे एन.जी.ओ. को मंच का पूर्णतः सञ्चालन सोप दियागया. और जन लोकपाल में सब लोगो को दायरे में लाने की बात की मगर एन.जी.ओ. को कभी भी इस दायरे में नहीं लाया जायेगाऐसा उसी मंच से कहा विदेशी कम्पनियो के दलालएन.जी.ओ. संचालक केजरीवाल ने. तो क्या अन्नाजी का आन्दोलन विदेशी कंपनियो के हाथ में था जो भारत को दीमक की तरह खा रही है. ऐसा क्यों?
३. में सर्व धर्म का आदर अवम सम्मान करता हु. बाबा रामदेव ने भी मंच पर मुसलमान साधुओ कोस्थान दिया था. मगर अन्नाजी के आन्दोलन में दो बार इफतारी की गयी. मगर हाजिर जनता के सामने जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्म का उत्सव मनाने की नहीं सूजी. क्यों ऐसा करने से कोई नाराज हो जाता क्या? ऐसा क्यों?
४. तिहाड़ जेल में जब बांध दे अन्नाजी तब समाज में अपनी भारी प्रतिष्टा अवम सम्मान होते हुए रातभर बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर जेलके बहार खड़े होकर अन्नाजी का समर्थन करते रहे. क्या अन्नाजी का ऐसी शख्सियतो की अवहेलना करना शोभास्पद लगता हैया फिर अन्नाजी को ऐसे करते हुए रोका गया था. या फिर भारत की जनता की भावना का लगातार बहते रहनेवाले पुर के कारन अन्नाजी को अहंकार हो गया. मगर अन्नाजी के मंच से इसाई पादरी भाषण दे सकता है. ऐसा क्यों?

अन्ना टीम द्वारा 16 अगस्त का अनशन जिन मांगों को लेकर किया गया था. उन मांगों पर आज हुए समझौते में कौन हारा कौन जीता इसका फैसला करिए.

अन्ना टीम द्वारा 16 अगस्त का अनशन जिन मांगों को लेकर किया गया था. उन मांगों पर आज हुए समझौते में कौन हारा कौन जीता इसका फैसला करिए.
पहली मांग थी : सरकार अपना कमजोरबिल वापस ले. नतीजा : सरकार ने बिल वापस नहीं लिया.
दूसरी मांग थी : सरकार लोकपाल बिलके दायरे में प्रधान मंत्री कोलाये. नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र तक नहीं.
तीसरी मांग थी : लोकपाल के दायरे में सांसद भी हों :नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र नहीं.
चौथी मांग थी : तीसअगस्त तक बिल संसद में पास हो. नतीजा : तीस अगस्त तो दूर सरकार ने कोई समय सीमा तक नहीं तय की कि वह बिल कब तक पास करवाएगी.
पांचवीं मांग थी : बिल को स्टैंडिंगकमेटी में नहीं भेजा जाए. नतीजा : स्टैंडिंग कमिटी के पास एक के बजाय पांच बिल भेजे गए हैं.
छठी मांग थी : लोकपाल की नियुक्ति कमेटी में सरकारी हस्तक्षेप न्यूनतम हो. नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र तक नहीं.
सातवीं मांग : जनलोकपाल बिल पर संसद में चर्चा नियम 184 के तहत करा कर उसके पक्ष और विपक्ष में बाकायदा वोटिंग करायी जाए. नतीजा :चर्चा 184 के तहत नहीं हुई, ना ही वोटिंग हुई.
कौन जीता..? कैसी जीत...? किसकी जीत...?