Friday, September 21, 2012

शहीद होने से एक दिनपूर्व रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने एक मित्र को निम्न पत्र लिखा -



 "19 तारीख को जो कुछ होगा मैं उसके लिए सहर्ष तैयार हूँ।
 आत्मा अमर है जो मनुष्य की तरह वस्त्र धारण किया करती है।"
 यदि देश के हित मरनापड़े, मुझको सहस्रो बार भी।
 तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।।
 हे ईश! भारतवर्ष में, शतवार मेरा जन्म हो।
 कारण सदा ही मृत्यु का, देशीय कारक कर्महो।।
 मरते हैं बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफाकअत्याचार से।
 होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रूधिर की धार से।।
 उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देशका।
 तब नाश होगा सर्वदा,दुख शोक के लव लेश का।।
 सब से मेरा नमस्कार कहिए,
 तुम्हारा
 बिस्मिल"|

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