Saturday, September 29, 2012

इस दौर के बच्चे मुझे अच्छे नहीं लगते....


.इस दौर के बच्चे मुझे अच्छे नहीं लगते....
क्युकी उन्हें रिलायंस के शेयर के रेट पता है
 
मगर आटे दाल के भाव नहीं पता.
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उन्हें सात समंदर दूर रहने वाले फ्रेंड के बारे में सब पता है...
मगर पास वाले कमरे में बूढी दादी की बीमारी के बारे में कुछ नहीं पता...
 

उन्हें बालीवुड के भांडों के खानदान के बारे में पता है
 
मगर अपनी गोत्र के बारे में कुछ नहीं पता....
 

उन्हें यह पता है की नियाग्रा फाल्स कहा है..
 
मगर लुप्त हुई सरस्वती नदी के बारे में कुछ नहीं पता....
 

उन्हें जीसस और मरायक की पूरी स्टोरी याद है ..
 
मगर महाभारत और रामायण के बारे में कुछ नहीं पता...
 

उन्हेँ शेक्सपियर चेतन भगत के बारे मेँ पता है लेकिन प्रेमचंद के बारे मेँ नहीँ
 

जब दुकानदार कहता है ये फॉरिन ब्राँड है तो वो खुश होकर खरीद लेते हैँ लेकिन स्वदेशी उत्पाद को वो तुच्छ समझते हैँ
 

उन्हेँ ब्रैड पिट एँजेलिना जॉली सेलेना गोमेज के बारे मेँ पता है लेकिन राजीव दीक्षित कौन है ये नहीँ पता
 

अमेरिका मेँ 
Iphone 5 कब लाँच होगा वो जानते हैँ लेकिन देश मेँ क्या हो रहा वो नहीँ जानते

एक था टाईगर का वीकली कलैक्शन उन्हेँ पता है लेकिन देश के गरीब की आय से अनभिज्ञ है
 

करीना कैटरीना का बर्थडे याद रखते हैँ वो लेकिन आजाद भगत सुभाष को भूल जाते हैँ
 

क्युकी वे बच्चे अपने माँ बाप के मनोरंजन का नतीजा है...
 
अर्जुन और द्रोपदी का अभिमन्यु नहीं..........

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