Sunday, September 9, 2012

भारत में दुग्ध क्रांति के जनक: डॉ. वर्गीज कुरियन

भारत में दुग्ध क्रांति के जनक माने जाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन का शनिवार देर रात 1.15 बजे निधन हो गया।

...आज दोपहर बाद 4 बजे आणंद में कुरियन का अंतिम संस्कार किया जाएगा। गुर्दे की बीमारी से लड़ रहे डॉक्टर कुरियन ने नाडियाड किडनी अस्पताल में अंतिम सांसें लीं।

26 नवंबर 1921 को केरल में जन्मे कुरियन को गुजरात के आणंद शहर में सहकारी डेरी विकास के एक सफल मॉडल की स्थापना करने और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने

के लिए जाना जाता है।

वर्ष 1973 में उन्होंने गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ़) की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे। जीसीएमएमएफ़ ही वह संस्था है जिसने अमूल ब्रैंड से

डेयरी उत्पाद बनाती है। 11 हज़ार से अधिक गांव के 20 लाख से अधिक किसानों की सदस्यता वाली यह संस्था सहकारिता के क्षेत्र में दूध और अन्य उत्पादों के लिए एक इतिहास रच चुकी है।

कुरियन को भारत सरकार ने पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया। वर्ष 1965 में उन्हें रेमन मैगसायसाय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। आणंद में इंस्ट्टीट्यूट ऑफ रूरल

मैनेजमेंट की स्थापना की जो देश में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है।

डॉ. कुरियन के देहांत के तुरंत बाद अमूल डेयरी के एमडी राहुल कुमार अस्पताल पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। डॉ. कुरियन अपने पीछे पत्नी मौली और बेटी निर्मला को छोड़ गए।

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