Thursday, July 26, 2012

भारत के पतन का कारण

१-भारत का सांस्कृतिक ,सामजिक ,आर्थिक पतन का कारण हमारे नेतावो का भ्रष्ट होना है ।
२-देश को -युवावो को -दिशाहीन करने का काम हमारे नेता बखूबी निभा रहे है ।
३-भ्रष्ट तंत्र बनाया -आरक्षण जाति के हिसाब से देकर -प्रतिभाशाली बच्चो के मनोबल को तोड़ना नेतावो के गलत मानसिकता का परिचायक है -जो की वोट के लिए किया गया ।
४-बंगलादेश के नागरिको को भारत में शरण देना -वोट की राजनीति करना -आतंग्वाद को बढ़ाना ही है ।
५-देश में कोई कृषि निति एसी नहीं की किसान अपना जीवन जी सके -जो किसान कभी लोगो का पालन कर सकता था -आज याचक बना हुवा है -कोई भी किसान केवल कृषि के सहारे जी नहीं सकता ।
६-हिन्दू- मुस्लिम-गरीब -आमिर -आदिवासी -सबको अलग -थलग करने का काम नेतावो ने बहुत अच्छे तरीके से कर के अपना उल्लू सीधा किया है ।
७-इनका खुद का जहा फायदा होता है एक दिन में बिल पास हो जाता है ।
८-भ्रष्टाचार जो सेना में नहीं रहता था -पूरा देश जल रहा है -पर इनको होंश ही नहीं हो रहा है ।
९-गरीब अब और ज्यादा गरीब -भ्रष्ट अमीर काफी आगे निकल गया है ।
१०-अब हालत ये है की -लुट -मार -डकैती -हत्या -बलात्कार -छिना -झपटी आम हो गई है ।
११-हमारे देश को अब ताकतवर -इमानदार -हिन्दू विचारधारा का नेता चाहिए -जो भारत को विश्व गुरु बना सके ।
जय हिंद -जय भारत -वन्दे मातरम ।।

Tuesday, July 24, 2012

चल आज फिर हम उसी गाँव में चलते है....

बड़ा भोला बड़ा सादा बड़ा सच्चा है,
तेरे शहर से तो मेरा गाँव अच्छा है ...

वहां मैं मेरे बाप के नाम से जाना जाता हूँ,
और यहाँ मकान नंबर से पहचाना जाता हूँ ...

वहां फटे कपड़ो में भी तन को ढापा जाता है,
यहाँ खुले बदन पे टैटू छापा जाता है ....

यहाँ कोठी है बंगले है और कार है,
वहां परिवार है और संस्कार है....

यहाँ चीखो की आवाजे दीवारों से टकराती है,
वहां दुसरो की सिसकिया भी सुनी जाती है...

यहाँ शोर शराबे में मैं कही खो जाता हूँ,
वहां टूटी खटिया पर भी आराम से सो जाता हूँ ..

यहाँ रात को बहार निकलने में दहशत है,
वहां रात में भी बहार घुमने की आदत है ...

मत समझो कम हमें की हम गाँव से आये है,
तेरे शहर के बाज़ार मेरे गाँव ने ही सजाये है,

वह इज्जत में सर सूरज की तरह ढलते है,
चल आज हम उसी गाँव में चलते है ...
चल आज फिर हम उसी गाँव में चलते है....

आचार्य बालकृष्ण जी



श्रद्देय आचार्य बालकृष्ण जी एक
बहुत बड़ी संहिता लिख रहे है
जिसमें 5000 जड़ी-बूटी के बारे में
वर्णन है अभी तक इतिहास में केवल
500 जड़ी-बूटी के बारे में
ही लोगो को पता है । आचार्य जी अनेक रोगियों को स्वस्थ्य कर
चुके है उन्होने अब तक करीब दस
लाख रोगियों को देखा है जिनमे से
आठ लाख लोगो का दस्तावेज़
प्रमाण भी मौजूद है । ऐसे देश भक्त
मानव सेवा मे लगे संत को तो जेल मे डाल दिया और कलमाड़ी,
कनिमोझी, ए राजा जैसे लोग
जनता को लाखों-
करोड़ो का चुना लगाने के बाद
भी बैखौफ घूम रहे है । वाह री भारत
की न्याय प्रणाली ???

Monday, July 23, 2012

क्या सच में हम स्वाधीन हैं ?

भाषा सीखें हम गोरों की,
सेवा करें हम औरों की ।
भ्रष्टाचार में हम प्रवीन हैं,
क्या सच में हम स्वाधीन हैं ?
जीवन में मूल्य नहीं शेष,
... बढ रहा आज है द्वेष क्लेश ।
निज सेवा में ही लीन हैं.
क्या सच में हम स्वाधीन हैं ?
पश्चिम को है सब्की दौड,
नीचे गिरने की मची होड ।
शाषक स्वयं पराधीन है,
क्या सच में हम स्वाधीन हैं ?
लगता अच्छा अब पिज़्ज़ा कोक,
माना नहीं कोई रोक टोक ।
पर हुए राष्ट्र श्रमिक श्रमहीन हैं,
क्या सच में हम स्वाधीन हैं ?
सन्स्कार गर रख सके विशेष,
हो राष्ट्र प्रगति बस एक उद्देश्य ।
हो अपनी भाषा और अपना भेष,
ना कोई अवगुण यदि रहे शेष,
बस भक्ती प्रेम में तल्लीन हों,
तब सच में हम स्वाधीन हों ।
तब सच में हम स्वाधीन हों ।