Monday, June 10, 2013

हिन्दुओं की मूर्खता का आलम

आज हिन्दुओं के मूर्खता का आलम यह है कि..... आज अजमेर ( राजस्थान ) को..... ख्वाजा मोइद्दीन 

चिश्ती के दरगाह के लिए ज्यादा जाना जाता है..... और, लोग अजमेर उसी की दरगाह पर चादर चढाने हेतु 

जाया करते हैं...!

लेकिन.... आपको यह जान कर हैरानी मिश्रित दुःख की अनुभूति होगी कि..... उसी अजमेर से लगभग 11 

किलोमीटर दूर पुष्कर झील है.... जिसके पास ही एक अतिप्राचीन (14 वीं सदी का ) भगवान ब्रम्हा का 

एकमात्र मंदिर है.... और, कहा जाता है कि..... बिना पुष्कर झील में स्नान किये.... चारो धाम ( 

केदारनाथ, बद्रीनाथ , रामेश्वरम और द्वारका ) की यात्रा भी पूर्ण नहीं हो पाती है...!

फिर भी हिन्दुजन अपने मूर्खता से वशीभूत होकर ... ऐसे पवित्र उपासना स्थल की अवहेलना कर.... मोइ

द्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढाने को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं....!

जहाँ तक बात रही ख्वाजा (???) मोइद्दीन चिश्ती की .... तो भारत में इस सूफी की ख्याति... कदाचित 

सबसे अधिक है...!

इस सूफी को ... महान संत... देवता का अवतार..... धर्मनिरपेक्षता ... और, भारत के गंगा-जमुना की 

सम्मिलित संस्कृति की साक्षात् मूर्ति कहा जाता है.....!

छोटे लोगों की तो बात ही जाने दें..... हमारे प्रधानमंत्री... और, राष्ट्रपति तक भी इसके मजार पर जा कर 

शीश नवाने और.... चादर चढाने में गर्व की अनुभूति करते हैं....!

लेकिन.... बहुत कम लोगों को ही ये मालूम है कि...... इस व्यक्ति ने भारत के इस्लामीकरण में कितनी 

उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी..... और, अपनी मृत्यु के 800 साल भी निभा रहा है...!

कमोबेश... लगभग हरेक सूफी और मजारों के चमत्कारों के किस्सों की तरह.... मोइद्दीन चिश्ती के 

चमत्कारों की भी काफी कथाएँ प्रचलित हैं...!

वैसे.... आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि..... ये मोइद्दीन चिश्ती साहब.... मोहम्मद साहब के वंशज 

समझे जाते हैं..... और, इन्होने सूफी की दीक्षा उस्मान हरवानी से ली थी.... जो की अपने समय के माने 

हुए सूफी संत कहलाते थे...!

सियर अल अकताब नामक पुस्तक के अनुसार..... मोइद्दीन चिश्ती के भारत आने के बाद से ही..... भारत 

में इस्लाम का पदार्पण हुआ....!

इस किताब के अनुसार... उन्होंने अपने तर्क और विद्वता से.... हिंदुस्तान में शिर्क (हिन्दू धर्म ) और कुफ्र 

( मूर्ति पूजा ) के अँधेरे को नष्ट कर दिया....!

सत्तर वर्ष तक मोइद्दीन चिश्ती .... भारत की भूमि पर लगातार नमाज पढ़ते रहे..... और, उस दौरान जिस 

पर भी इनकी नजर पढ़ी..... वो... तुरत मुसलमान बन कर ... तथाकथित अल्लाह का सामीप्य पा गया...!

हालाँकि.... कहा जाता है कि.... मोइद्दीन चिश्ती सोना बनाना जानते थे.... लेकिन... ये बात सत्य है कि.... 

इनके पाकशाला में इतना भोजन बनता था.... कि... नगर के सभी दरिद्र लोग वहां भोजन कर सकें...!

कहा जाता है कि.... जब नौकर उनसे धन मांगने जाता था तो.... वे अपने नमाज के दरी का कोन उठा देते 

थे..... जहाँ ढेर सारा सोना पड़ा रहता था....!

ये मोइद्दीन चिश्ती .... भारत कैसे पहुँच गए.... इसके बारे में एक बहुत ही मशहूर कहानी है कि....

एक बार जब ... मोइद्दीन चिश्ती ... मुहम्मद साहब के मजार की यात्रा करने गए तो..... वहां मजार से 

आवाज आई कि..... मोइद्दीन, तुम हमारे मजहब के सार हो और तुम्हे हिंदुस्तान जाना है.... क्योंकि... 

हिंदुस्तान के अजमेर में मेरा एक वंशज जिहाद करने गया था..... परन्तु वो..... काफिरों के हाथो मारा गया 

..... और, अब वो भूमि काफिर हिन्दुओं के हाथ में चली गयी है...!

अतः... तुम्हारे हिंदुस्तान जाने से ... इस्लाम एक बार फिर.... वहां अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा.... और, 

काफिर हिन्दू अल्लाह के कोप का भजन बनेंगे....!

इसपर... मोइद्दीन चिश्ती ने कहा..... ""हालाँकि वहां झील के पास बहुत से मूर्ति और मंदिर हैं.... लेकिन, 

अगर अल्लाह और पैगम्बर ने चाहा तो....मुझे उन मंदिरों और मूर्तियों को मिटने में ज्यादा समय नहीं 

लगेगा...!

इसके बाद .... ये मोइद्दीन चिश्ती साहब ... हिंदुस्तान आकर .... यहाँ अपने इस्लाम का परचम लहराने 

लगे....!

अगर... मोइद्दीन चिश्ती के बारे में कहे जाने वाले.... चमत्कारिक कहानियों को वास्तविकता में कहें तो.... 

वो इस प्रकार की रही होगी कि.....

अजमेर में ... मोइद्दीन चिश्ती से पहले भी कोई सूफी.... भारत में इस्लाम फैलाने के उद्देश्य से आया था.... 

जो कि.... यहाँ के हिन्दुओं के हाथो मारा गया...!

जब मोइद्दीन चिश्ती.... हज करने गए तो.... वहां के मुसलमानों ने चिश्ती को यह बात बताई..... और, 

उन्हें ढेर सारा धन देकर .... उन्हें जिहाद हेतु भारत जाने को प्रेरित किया....!

मोइद्दीन चिश्ती भारत आये.... और, अपने अथाह धन ( जो उन्हें जिहाद के लिए अरब के मुस्लिम शासकों 

द्वारा मिल रहा था) ... और झूठे चमत्कारों के बल पर..... यहाँ के गरीब और अन्धविश्वासी लोगों में 

अपनी पैठ बना कर ... उनका धर्मान्तरण शुरू कर दिया....!

फिर कुछ प्रभावशाली लोगों ने ...जो किन्ही कारणों से .... दिल्ली के महाराज .... पृथ्वीराज चौहान से 

किसी कारण से रुष्ट थे..... चिश्ती से संपर्क किया ....और, उन सब ने मिल मोहम्मद गोरी को भारत पर 

आक्रमण के लिए प्रेरित किया.... और, उसे यहाँ हर संभव मदद का आश्वासन दिया....

अंततः.... गोरी ने भारत पर आक्रमण किया.... और, एक सच्चे हिन्दू राजा पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर 

दी गयी.... और... उसके बाद भारत में इस्लाम के प्रसार का मार्ग प्रशस्त हो गया...!

सियर अल अकताब किताब के अनुसार.... इस घटना से पहले ही.... चिश्ती .... उस समय के मशहूर 

योगी.... अजयपाल को.... मुस्लिम बने में सफल हो गया था.... और, उसके मुसलमान बनाते ही..... 

चिश्ती ने अपना डेरा अजयपाल के विशाल मंदिर में ही जमा लिया...!

मोइद्दीन चिश्ती के मजार के बाहर.... विशाल बुलंद दरवाजों पर बने हिंदूवादी नक्काशी आज भी इस बात 

के गवाही देते हैं कि.... मोइद्दीन चिश्ती कि अगुआई में किस प्रकार भारत में धन और झूठे चमत्कारों के 

बल पर.... भारत का इस्लामीकरण का धंधा चलाया गया...!

आज भी एक ब्राह्मण परिवार चन्दन घिस कर.... मोइद्दीन चिश्ती के दरगाह में भेजता है.... जिसका लेप 

चिश्ती के मजार पर लगाया जाता है...!

परन्तु.... यह सभी जानते हैं कि.... इस्लाम में चन्दन घिसने की कोई प्रथा है ही नहीं...!

जाहिर है कि..... पुरातन काल से आज तक वो चन्दन ... महंत अजयपाल के मंदिर के मूर्तियों के लिए 

भेजी जाती रही होंगी.... जिसे अब मजार पर लगा दिया जाता है...!

सियार अल अफीरिन... नामक पुस्तक.... चिश्ती के बारे में लिखते हैं कि..... चिश्ती के भारत आने से... 

भारत में इस्लाम का मार्ग प्रशस्त हो गया.... और, चिश्ती ने भारत में इस्लाम के प्रति अन्धविश्वास को 

ख़त्म कर.... भारत में इस्लाम को चारो और फैलाया....!

आमिर खुर्द की चौपाइयों के अनुसार.... चिश्ती के आने से पहले.... हिंदुस्तान .. इस्लाम और शरियत 

कानून से अनभिज्ञ था.... और... किसी को अल्लाह की महानता का ज्ञान नहीं था.... ना ही किसी ने काबा 

के दर्शन नहीं किये थे....!

लेकिन.... ख्वाजा के आने बाद..... उसकी तलवार और बुद्धि के कारण कुफ्रों की भूमि में ... मंदिरों और 

मूर्तियों की जगह ... मस्जिदों के मेहराब बन गए...!

जिस भूमि पर पहले.... सिर्फ मूर्तियों का गुणगान और मंदिरों की घंटियाँ सुनाई थी .. अब उस भूमि पर 

..... नारिये तकबीर ( अल्लाहो -अकबर ) सुनाई देती है....!

मोइद्दीन चिश्ती के इस्लाम के प्रति इन्ही योगदानों के कारण उन्हें..... "" नबी ए हिन्द "" ( हिंदुस्तान का 

पैगम्बर ) भी कहा जाता है..... क्योंकि.... भारत में इस्लाम उन्ही के बदौलत फैला है....!

मोइद्दीन चिश्ती के.... इस्लाम पर किये गए इन्ही योगदानों के कारण.... हर पाकिस्तानी या बांग्लादेशी 

प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति उनका शुक्रिया अदा करने उनके मजार पर जाता है..... क्योंकि.... मोइद्दीन चिश्ती के 

बिना.... भारत में इस्लाम का फैलना बेहद ही मुश्किल था...!

अब आप खुद ही सोचें..... कि.... क्या हम हिन्दुओं से भी ज्यादा मूर्ख कोई हो सकता है..... जो अपने 

विनाशकर्ता को पूजे और.... उसपर अंध श्रद्धा दिखाए...?????

जागो हिन्दुओं...... अगर ऐसे ही आँख बंद करके भेडचाल में चलते रहे तो...... कल को तुम्हारा कोई 

नामलेवा नहीं बचेगा....!

Sunday, June 9, 2013

मेरा देश भारत है.... "इण्डिया नहीं"...


इण्डिया बोलने से पहले विचारे : क्या अर्थ है
इण्डिया का ?.......इण्डियन शब्द को अंग्रजो ने इडियट शब्द से बनाया है, अर्थात
जो इडियट (जाहिल गंवार) होता है वो इण्डियन है।
इसीलिए उन्होंने भारत देश में आकर पूर्व दिशा में (कलकत्ता) अपने पहले कॉर्पोरेट दफ्तर
(कम्पनी) का नाम"ईस्ट इण्डिया"
रखा क्यूंकि वो भारत के लोगों का शोषण करने के लिए आये थे, उन पर राज करने के लिए ...आये थे। अंग्रेजो को भारत नाम बोलने मे परेशानी होती थी -अंग्रेज़ 'इंडियन' उस
व्यक्ति को कहते है जो उनके हिसाब से जाहिल माना जाता है, अंग्रेज़ इंडियन उस
व्यक्ति को कहते थे जो पाषाण कालीन जीवन जीता है।
"Remember the old British notorious
signboard 'Dogs and Indians not
allowed."
वो भारत के लोगों को जाहिल गंवार यानि इडियट
मानते थे इसीलिए इडियट शब्द में थोडा परिवर्तन
करके उन्होंने यहाँ के लोगों को इण्डियन कहना शुरू किया। इसीलिए आप देखें विश्व में
जहाँ - जहाँ अंग्रजों का राज था वहां पर 'इण्डियन' यानि इडियट मिल जायेंगे। "जैसे रेड इण्डियन, ब्लैक इण्डियन, वेस्टइंडीज" इत्यादि।
हर भारतीय के नाम का अर्थ है.... हमारे यहाँ बिना भावार्थ के नाम रखने की असांस्कृतिक
परंपरा नहीं है। लेकिन हमारे भारत के नाम का अर्थ है:
भारत : भा = प्रकाश रत =लीन... (यानि हमेशा प्रकाश, ज्ञान मे लीन)
इतना महान अर्थ से परिपूर्ण हमारे देश का नाम है फिर भी
क्यूँ हम ऐसे लोगो के दिये नाम 'इण्डिया' का इस्तेमाल करें जिन्होने हमारे देश के शहीदों पर इतने अत्याचार किए ? क्यूँ हम अपने ही देश
को गाली दें ? जो भारत को इण्डिया कहते है वे मात्र मैकाले के दिये वचनो का पालन कर रहे हैं। भारत और इण्डिया मे काफी अंतर है हमारा देश भारत है इंडिया नहीं। जो भारतीय भाई - बहन मेरी बातों से सहमत
हो वो कृपया इस जानकारी को उन पढ़े लिखे काले अंग्रेजों तक जरूर पहुँचायें जो अपने-
आपको इडियट यानि (इण्डियन) कहलाने में
ज्यादा गर्व महसूस करते हैं। उन्हें समझाए की उन्हें भारतीय कहलाना ज्यादा पसन्द है या इडियट यानि मूर्ख..??

वाह रे काले अंग्रेजो....गोरे अंग्रेजों ने अगर तुम्हारी प्रसंशा की होती तो वो समझ में
आती थी....पर उनके द्वारा मुर्ख कहे जाने पर भी तुम अपने आपको अगर महान गौरवान्वित महसूस करते हो तो तुम्हारा भगवान ही मालिक है। वैसे मैकाले का उद्देश्य भी ये ही था। मैकाले तो इस दुनिया से कब का चला गया लेकिन उसके उत्पाद आज भी उत्पादित हो रहे हैं।

शर्म करो.... शर्म करो.... शर्म करो....!!
ईडियट ईन्डियन नही भारतीय बनो.... आज से..... अभी से......